मशरूम कम्पोस्ट के फायदे: मिट्टी की सेहत और पैदावार बढ़ाने का राज़
किसान भाइयों और बहनों, खेती केवल बीज बोने और पानी देने तक सीमित नहीं है। असली खेती की ताक़त मिट्टी की सेहत में छिपी होती है। अगर मिट्टी उपजाऊ है तो कम मेहनत और कम लागत में भी भरपूर फसल मिलती है। लेकिन आज के समय में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की शक्ति घट रही है। ऐसे में ज़रूरत है कि हम जैविक खेती और प्राकृतिक खाद की ओर लौटें। इसी कड़ी में एक बहुत ही किफ़ायती और असरदार विकल्प है – मशरूम कम्पोस्ट।
मशरूम कम्पोस्ट क्या है?
मशरूम कम्पोस्ट को अंग्रेज़ी में Spent Mushroom Substrate (SMS) भी कहा जाता है। यह दरअसल वही माध्यम (substrate) है जिसमें मशरूम उगाए जाते हैं।
जब मशरूम की खेती पूरी हो जाती है, तो यह बचा हुआ सब्सट्रेट किसानों के लिए “फेंकने वाली चीज़” लग सकता है, लेकिन असल में यह खजाना है। इसमें कई प्रकार के पौधों के लिए ज़रूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे:
नाइट्रोजन (Nitrogen)
फॉस्फोरस (Phosphorus)
पोटाश (Potash)
जैविक कार्बन (Organic Carbon)
यानी कि मशरूम कम्पोस्ट एक तरह का प्राकृतिक जैविक खाद है, जिसे खेतों, बागवानी और यहां तक कि किचन गार्डन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
मशरूम कम्पोस्ट के फायदे (Mushroom Compost ke Fayde)
अब जानते हैं इसके प्रमुख लाभ जो किसानों और बागवानों दोनों के लिए वरदान हैं।
1. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है
इसमें मौजूद पोषक तत्व मिट्टी को समृद्ध करते हैं।
लगातार उपयोग से मिट्टी की जैविक गुणवत्ता (Soil Organic Matter) बढ़ती है।
फसल को संतुलित पोषण मिलता है।
2. जलधारण क्षमता में सुधार
मशरूम कम्पोस्ट मिट्टी को ढीला और भुरभुरा बनाता है।
यह मिट्टी की जलधारण क्षमता (Water Holding Capacity) बढ़ाता है।
बारिश या सिंचाई का पानी ज़्यादा देर तक मिट्टी में टिकता है, जिससे पानी की बचत होती है।
3. फसल उत्पादन में वृद्धि
नियमित उपयोग से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं।
बेहतर पोषण मिलने से फसलें जल्दी तैयार होती हैं।
उपज का गुणवत्ता और मात्रा दोनों बेहतर होती हैं।
4. प्राकृतिक खेती का सहयोगी
यह पूरी तरह प्राकृतिक और पर्यावरण हितैषी खाद है।
मिट्टी की जैविक सक्रियता (Soil Microbial Activity) को बढ़ावा देता है।
प्राकृतिक खेती (Organic Kheti) करने वालों के लिए यह बेहतरीन विकल्प है।
5. मिट्टी संरक्षण में सहायक
मिट्टी की बनावट सुधारता है।
कटाव और सख़्ती (Soil Hardening) को कम करता है।
लगातार प्रयोग से मिट्टी लंबे समय तक उपजाऊ बनी रहती है।
6. किफ़ायती खाद विकल्प
गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट की तुलना में यह कई जगह सस्ता विकल्प है।
खासकर उन इलाकों में जहाँ मशरूम उत्पादन होता है, वहां यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
और जानकारी के लिए: मशरूम कम्पोस्ट (SMS) क्या है और किसानों के लिए क्यों जरूरी है?
मशरूम कम्पोस्ट का उपयोग कैसे करें?
अब सवाल आता है कि किसान भाई इस खाद को अपने खेतों और बागवानी में कैसे उपयोग कर सकते हैं।
खेतों में उपयोग
खेत जोतने से पहले 10–15 क्विंटल मशरूम कम्पोस्ट प्रति एकड़ डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
यह बीज बोने या पौधा लगाने से पहले करना सबसे अच्छा रहता है ताकि फसल की जड़ों को तुरंत पोषण मिल सके।
बेहतर परिणाम के लिए इसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट के साथ मिलाकर भी डाल सकते हैं।
जिन खेतों में लगातार गेहूँ-धान जैसी नकदी फसलें उगाई जाती हैं, वहाँ हर सीजन के पहले मशरूम कम्पोस्ट डालना लाभकारी रहेगा।
ध्यान रहे कि कम्पोस्ट को बहुत ज़्यादा मात्रा में न डालें, वरना मिट्टी में नमी की अधिकता हो सकती है।
बागवानी और किचन गार्डन में उपयोग
गमलों या बेड की मिट्टी में 20–30% अनुपात में मशरूम कम्पोस्ट मिलाएँ।
सब्जियों जैसे टमाटर, मिर्च, बैंगन और पत्तेदार सब्जियों में यह बहुत असरदार है।
फूलों के पौधों में डालने से उनकी बढ़वार तेज़ होती है और फूलों का रंग व आकार बेहतर होता है।
पौधे लगाने के 1-2 महीने बाद गमलों की मिट्टी की ऊपरी परत पर हल्की मात्रा (लगभग 200–300 ग्राम) डालकर पानी दें।
फलों के बगीचों में उपयोग
प्रत्येक फलदार पेड़ के चारों ओर 3–4 किलो मशरूम कम्पोस्ट डालें।
इसे पेड़ की छाया के बराबर घेरे में मिट्टी के साथ हल्का-सा मिला दें ताकि पोषण सीधे जड़ों तक पहुँच सके।
आम, अमरूद, नींबू, पपीता जैसे पेड़ों में साल में 2–3 बार डालने से अच्छी पैदावार मिलती है।
छोटे पौधों या नर्सरी में इसे आधा किलो प्रति पौधा तक सीमित रखें।
उत्तराखंड और भारत में मशरूम कम्पोस्ट का महत्व
भारत में खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में मशरूम की खेती खूब होती है। इन इलाकों में मशरूम कम्पोस्ट आसानी से उपलब्ध है।
- उत्तराखंड में किसान भाई इसे मिट्टी सुधार और प्राकृतिक खेती में अपना रहे हैं।
- यह पहाड़ी क्षेत्रों की ढ़लान वाली ज़मीन में भी मिट्टी को बांधकर रखने में मदद करता है।
- वहीं पंजाब और हरियाणा में इसे बड़े पैमाने पर गेंहू और धान जैसी फसलों के लिए अपनाया जा रहा है।
| पहलू | मशरूम कम्पोस्ट | रासायनिक खाद |
|---|---|---|
| मिट्टी की सेहत | सुधारता है | घटाता है |
| लागत | किफ़ायती | महँगी |
| फसल की गुणवत्ता | प्राकृतिक, स्वादिष्ट | केवल उत्पादन बढ़ाता |
| पर्यावरण प्रभाव | सकारात्मक | नकारात्मक |
“अगर हमने मिट्टी का ध्यान नहीं रखा तो आने वाली पीढ़ियों को हरा नहीं, भूरा ग्रह मिलेगा।” – सद्गुरु
किसान भाइयों और बहनों, खेती का असली आधार है मिट्टी की सेहत। अगर हम मिट्टी को पोषण देंगे तो मिट्टी हमें दोगुना लौटाएगी।
मशरूम कम्पोस्ट एक ऐसा प्राकृतिक और किफ़ायती विकल्प है, जो:
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है,
जलधारण क्षमता सुधारता है,
फसल उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाता है,
और सबसे बढ़कर प्राकृतिक खेती और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करता है।
तो आइए, हम सब मिलकर Save Soil Movement का हिस्सा बनें और अपनी आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ मिट्टी और स्वस्थ अन्न का उपहार दें।
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