टमाटर की खेती में रोग और घाटा कैसे टालें? SMS से तेज़ ग्रोथ और रोगों से बचाव
टमाटर हर किसान की पसंदीदा फसल है। इसकी मांग सालभर बनी रहती है, लेकिन असली चुनौती यह है कि खेती में मेहनत ज़्यादा और भरोसेमंद मुनाफ़ा कम मिलता है। वजह साफ़ है –
पौधा धीरे-धीरे बढ़ता है,
अलग-अलग रोग जल्दी लग जाते हैं,
और जब तक फसल मंडी पहुँचती है, रेट गिर जाते हैं।
ऐसे में सवाल उठता है – “क्या किसान भाई इस सीज़न टमाटर से जल्दी फायदा ले सकते हैं?”
जवाब है – खेती में गारंटी तो नहीं, लेकिन अगर सही तकनीक और सही खाद का इस्तेमाल करें तो फायदा ज़रूर बढ़ सकता है।
टमाटर का पौधा कब फल देना शुरू करता है?
बीज बोने से रोपाई तक → 25–30 दिन
रोपाई के बाद फल लगना शुरू → 40–50 दिन
यानी कुल मिलाकर लगभग 65–80 दिन में टमाटर का पौधा फल देना शुरू कर देता है।
किस्म के अनुसार समय:
अर्ली वैरायटी → 55–60 दिन
मध्यम अवधि → 70–80 दिन
लेट वैरायटी → 90–100 दिन
पौधे की ग्रोथ मिट्टी की ताक़त, मौसम और खेती की देखभाल पर निर्भर करती है।
मशरूम कम्पोस्ट (SMS) क्या है और टमाटर की फसल में क्यों मददगार है?
मशरूम की खेती के बाद बची हुई खाद को स्पेंट मशरूम सब्सट्रेट (SMS) कहते हैं। इसमें जैविक पदार्थ और पोषक तत्व बचे रहते हैं, जो मिट्टी को सुधारने और पौधों की ग्रोथ बढ़ाने में काम आते हैं।
SMS से होने वाले संभावित फायदे:
मिट्टी की संरचना और उर्वरता बेहतर होती है।
नमी लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे पौधा तनाव में नहीं आता।
पौधे की जड़ें मजबूत होती हैं।
रोगों के असर को कम करने में मदद मिलती है।
पौधों को धीरे-धीरे पोषण मिलता है, जिससे ग्रोथ स्थिर रहती है।
ध्यान रहे – SMS अकेला जादू नहीं करता। यह मिट्टी सुधार और फसल की मजबूती में मदद करता है, लेकिन मौसम, किस्म, रोग और देखभाल पर भी परिणाम निर्भर करते हैं।
और पढ़ें – उत्तराखंड में खेतों की मिट्टी को कैसे सुधारे: किसानों के लिए प्राकृतिक और किफ़ायती उपाय
किसान क्या करें ताकि दिसम्बर तक टमाटर की फसल से फायदा मिल सके?
1. मिट्टी की ताक़त पहले बढ़ाएँ
खेत की जुताई के समय 10–12 क्विंटल SMS प्रति एकड़ डालें।
इसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट के साथ मिलाकर डालेंगे तो असर और बढ़ेगा।
2. स्वस्थ पौधे का चयन
नर्सरी में SMS मिलाकर पौधे तैयार करें। इससे पौधा मजबूत और तेज़ी से बढ़ेगा।
3. सिंचाई का सही प्रबंधन
ड्रिप इरिगेशन अपनाएँ और ज़रूरत से ज़्यादा पानी न दें।
संतुलित नमी से पौधा जल्दी फूल देगा।
4. स्टेकिंग और देखभाल
पौधे को सहारा दें (बाँस/तार से), इससे फल जल्दी और सुरक्षित पकेंगे।
5. रोगों से बचाव
जैविक घोल (नीम का अर्क, जीवामृत) का छिड़काव करें।
SMS मिट्टी को संतुलित रखकर रोग दबाव कम करने में मदद करता है।
टमाटर की फसल में आम रोग और उनका प्रबंधन
| रोग का नाम | लक्षण | संभावित प्रबंधन |
|---|---|---|
| लेट ब्लाइट (झुलसा रोग) | पत्तियों और फलों पर भूरे-काले धब्बे, पूरी फसल सूख सकती है | नीम अर्क या ट्राइकोडर्मा का छिड़काव करें, खेत में हवा और धूप आने दें, नमी संतुलित रखें |
| अर्ली ब्लाइट | पत्तियों पर गोल छल्लेदार धब्बे, पौधा कमजोर | रोग लगे पत्ते तोड़कर नष्ट करें, SMS + जैविक खाद डालें ताकि मिट्टी संतुलित रहे |
| जड़ सड़न | पौधे मुरझा जाते हैं, जड़ गल जाती है | खेत में पानी रुकने न दें, SMS नमी संतुलित रखता है और जड़ें मजबूत करता है |
| पत्तों का पीलापन (YLCTV) | पत्ते मुड़कर छोटे हो जाते हैं, पौधा कमजोर | सफेद मक्खी पर नियंत्रण करें, नीम तेल का छिड़काव करें, स्वस्थ पौध लगाएँ |
| बैक्टीरियल विल्ट | अचानक पौधा मुरझा जाता है, जड़ से पानी जैसा रस निकलता है | फसल चक्र अपनाएँ, संक्रमित पौधे न लगाएँ, SMS और गोबर खाद डालकर मिट्टी की जीवंतता बढ़ाएँ |
ध्यान रहे –
रोग सिर्फ दवा से नहीं रुकते। मिट्टी की ताक़त और नमी का संतुलन भी उतना ही ज़रूरी है।
मशरूम कम्पोस्ट (SMS) अकेला इलाज नहीं है, लेकिन यह मिट्टी को ज़िंदा और संतुलित रखकर रोग दबाव कम करने में मदद करता है।
किसान दृष्टिकोण
उत्तराखंड और उत्तर भारत के कई इलाकों के किसान भाई अब मशरूम कम्पोस्ट (SMS) का इस्तेमाल मिट्टी की ताकत को बेहतर बनाने के लिए कर रहे हैं। उनका कहना है कि SMS डालने से मिट्टी हल्की और ताक़तवर बनती है, जिससे पौधा तेज़ी से बढ़ता है और उस पर रोगों का असर भी कम दिखता है।
नतीजा ये होता है कि उनकी फसल कई बार दिसम्बर से पहले मंडी पहुँच जाती है, जब टमाटर के भाव अच्छे रहते हैं और मुनाफ़ा भी ज़्यादा मिलता है।
निष्कर्ष
खेती में सिर्फ़ एक चीज़ से गारंटी नहीं मिलती – मौसम, किस्म, रोग और मेहनत सब मिलकर परिणाम तय करते हैं।
लेकिन अगर किसान भाई तकनीक, समय, और SMS का सही इस्तेमाल करें, पौध को मजबूत बनाएँ और खेती की देखभाल करें, तो टमाटर की फसल जल्दी तैयार हो सकती है और मंडी में अच्छी कीमत मिल सकती है।
यही है स्मार्ट खेती का राज़ –
प्राकृतिक खाद + मिट्टी सुधार + समय पर देखभाल = बेहतर उत्पादन और मुनाफ़ा।
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